बाल गंगाधर तिलक भारत देश के ‘स्वतंत्रता संग्राम’ में एक प्रमुख नेता थे। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए जन आंदोलन एवं स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाया था। उनकी प्रमुख पुस्तक ‘गीता रहस्य‘ और ‘श्रीमद् भगवद् गीता रहस्य’ बहुत ही प्रसिद्ध हैं। तिलक जी ने भारतीय संस्कृति, इतिहास और आर्थिक प्रगति के प्रति उत्साह जताया था। उनके द्वारा प्रारंभ की गई ‘स्वराज्य’ नामक मराठी पत्रिका भी बहुत महत्वपूर्ण थी। बाल गंगाधर तिलक को ‘लोकमान्य’ के नाम से भी जाना जाता है। उनकी विचारधारा ने भारत के बहुत से लोगों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित एवं जागरूक किया था।
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बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय
नाम | केशव गंगाधर तिलक |
जन्म | 23 जुलाई 1856 |
जन्म स्थान | रत्नागिरी महाराष्ट्र |
माता का नाम | पार्वती बाई गंगाधर |
पिता का नाम | गंगाधर रामचन्द्र तिलक |
मृत्यु | 01 अगस्त 1920 |
पत्नी | सत्यभामा |
राजनैतिक पार्टी | इंडियन नेशनल कांग्रेस |
उपाधि | लोकमान्य , भारत के बेताज बादशाह |
बाल गंगाधर तिलक के सामाजिक विचार
- बाल गंगाधर तिलक भारत के एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिनके सामाजिक विचार उनकी शिक्षाओं, जीवन अनुभवों और उनके अध्ययन से प्रभावित थे।
- लोकमान्य जी के सामाजिक विचार जनता को जागरूक और स्वशासन को प्रोत्साहित करने के लिए था। वे भारत की क्षेत्रीय भाषाओं का समर्थन करते थे, और भारतीय संस्कृति के प्रति उत्साह जताते थे। उनका विचार था कि जनता को स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए और उनको अपने हक के लिए लड़ना चाहिए।
- तिलक जी का एक और प्रमुख सामाजिक विचार था, कि भारत को जब तक स्वतंत्र नहीं होता, तब तक उसकी समाज को उसके हकों के लिए लड़ना चाहिए था। उन्होंने भारतीय जनता के लिए एकता और समता का संदेश दिया था।
- बाल गंगाधर तिलक को एक उत्कृष्ट शिक्षक भी माना जाता था। तिलक जी के विचार थे, कि शिक्षा जनता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, और सभी लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने समाज के दलित और पिछड़ो के शिक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
- तिलक के सामाजिक विचार बहुत उच्च थे और उन्होंने भारतीय समाज को स्वतंत्र और समृद्ध बनाने के लिए अपने जीवन की लड़ाई लड़ी। उन्होंने समाज को आगे बढ़ाने और उसे स्वावलंबी बनाने के लिए कई विचारों का समर्थन किया।
- उनके विचारों में समाज के उत्थान और स्वावलंबन के लिए उच्च शिक्षा, स्वदेशी आंदोलन, आर्थिक आधार पर स्वराज और संस्कृति के प्रति उत्साह शामिल थे। उन्होंने समाज के अंतर्गत जाति विवादों को खत्म करने और समानता को स्थापित करने के लिए भी अपने विचार रखे।
बाल गंगाधर तिलक ने समाज के गरीब लोगों के लिए अधिक न्याय की मांग की थी और उन्होंने उनकी समस्याओं को हल करने के लिए काम किया था। उन्होंने महिलाओं के शिक्षा को भी बढ़ावा दिया था और उन्हें समाज में बढ़ते हुए सम्मान के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया था।
- तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता थे और उनके विचार भारतीय राजनीति और समाज को गहरी प्रभावित करते रहे।
- तिलक ने “स्वराज्य हमारी जन्मसिद्ध अधिकार है” का नारा दिया था और उन्होंने स्वराज के लिए लड़ने की अपील की थी। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया था और उन्होंने उत्तर भारत में आंदोलन की स्थापना की थी।
- उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म को बचाने के लिए काम किया था और उनके विचारों के अनुसार, भारत की संस्कृति उसकी आत्मा थी। उन्होंने स्वतंत्र भारत में शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया और उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा के खिलाफ होने का समर्थन किया था।
- तिलक ने समाज में जातिवाद के विरोध में भी कड़े विचार रखे थे, और उन्होंने समाज में समानता और अधिकारों के लिए लड़ाई की थी। उन्होंने महिलाओं के शिक्षा को बढ़ावा दिया था।
बाल गंगाधर तिलक के अनमोल विचार
- . “स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर ही रहूँगा।”
- “आप केवल कर्म करते जाइए, उसके नतीजों पर लक्ष्य मत दीजिये।”
- “ईश्वर कठिन परिश्रम करने वालों के लिए ही अवतार लेते है ना की आलसी व्यक्तियों के लिए, इस लिए कार्य करना आरंभ करें।”
- “कमजोर नहीं बल्कि शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें की ईश्वर हमेशा आपके साथ है।
- “जीवन एक ताश के खेल की तरह है, सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन ताश के पत्तों के साथ अच्छा खेलना हमारी सफलता को निर्धारित करता है।”
- “जब लोहा गरम हो तभी उस पर चोट कीजिये, आपको निश्चय ही सफलता का यश प्राप्त होगा।”
- “आपका लक्ष्य किसी जादू से नहीं पूरा होगा, बल्कि आपको ही अपना लक्ष्य प्राप्त करना पड़ेगा।”
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बाल गंगाधर तिलक के आंदोलन
- तिलक ऐसे व्यक्ति थे, जिनको 1882ई. में पत्रकारिता के कारण सजा हुई। यह सजा उन्हे अपने पत्र ‘केसरी’ में कोल्हापुरी के महाराजा के प्रति दुर्व्यवहार पूर्ण लेख लिखने के कारण हुई थी।
- 1896-97 ई. में उन्होंने सम्पूर्ण महाराष्ट्र में “कर न देने का आंदोलन” चलाया। इसी दौरान जनता ने उन्हे “लोकमान्य” की उपाधि दी थी।
- 1897 ई. में इन्हें अपने पत्र केसरी में रैंड एवं एयर्स्ट की हत्या को उचित ठहराने के कारण इन पर राजद्रोह का आरोप लगाकर 18 माह की सजा दी गई।
- 24 जून को, 1908 को तिलक को पुनः गिरफ्तार किया गया और केसरी में प्रकाशित लेखों के आधार पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर 6 वर्ष की सजा दी गई।
- इनको मांडले जेल(वर्मा) में रखा गया। इसी दौरान इन्होंने अपनी पुस्तक गीत रहस्य लिखी।
- तिलक की सजा के विरोध में बंबई के कपड़ा मिल मजदूरों ने 1908 में प्रथम राजनीति हड़ताल की थी।
- लंदन टाइम्स के संवाददाता एवं इंडियन आँरेस्ट के लेखक वेलेंटाइल चिरोल ने इन्हें भारतीय अशान्ति का जन्मदाता कहा।
- तिलक एक ऐसे कांग्रेसी नेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बन पाए।
निष्कर्ष:
मेरे प्रिय दोस्तों आपको इस लेख में बाल गंगाधर तिलक के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई, अपको यह पोस्ट पढ़कर कैसे लगा। इससे संबंधित कोई भी प्रश्न आपके मन में पूछने की इच्छा हो तो आप कमेन्ट कर सकते है। मुझे आपके कमेन्ट का इंतजार रहेगा।
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Q.बाल गंगाधर तिलक कौन थे?
बाल गंगाधर तिलक भारत के एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिनके सामाजिक विचार उनकी शिक्षाओं, जीवन अनुभवों और उनके अध्ययन से प्रभावित थे।
Q.बाल गंगाधर तिलक का जन्म कब हुआ?
तिलक जी का जी का जन्म 1856 ई। में हुआ था।
Q.बाल गंगाधर तिलक का पूरा नाम क्या है?
केशव गंगाधर तिलक था।
Q.बाल गंगाधर तिलक का जन्म कहां हुआ था?
तिलक जी का जन्म महराष्ट्र में रत्नागिरी में हुआ था।