Sangya Kise Kahate Hain

Sangya Kise Kahate Hain

हिन्दी व्याकरण में आज हम आप सबको संज्ञा किसे कहते है?(Sangya Kise Kahate Hain) के बारे में विस्तृत रूप से अवगत करएंगे। इस पोस्ट के अंतर्गत आप परिभाषा, भेद, उदाहरण एवं प्रयोग आदि का अच्छे जानकारी प्राप्त करेंगे। अपको इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ना होगा।इस पोस्ट के माध्यम से प्रतियोगी छात्रों को बहुत ही लाभ मिलेगा।

संज्ञा(Sangya): संज्ञा वह शब्द है,जो किसी प्राणी, व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता है। अर्थात सभी नाम पदों को संज्ञा(Sangya) कहा जाता है।

Table of Contents

संज्ञा की परिभाषा(sangya ki paribhasha): Sangya Kise Kahate Hain

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि का नाम के गुण, भाव के रूप में ज्ञान कराना संज्ञा कहलाता है। उदाहरण- राम, श्याम, अंगूर, हाथी, मीठापन, ईमानदारी, सेना, रामचरितमानस, महाभारत, दिल्ली आदि।

Sangya Kise Kahate Hain

पद की अवधारणा: (Sangya Kise Kahate Hain)

वर्णों का सार्थक समूह ‘शब्द’ कहलाता है। लेकिन जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है, तो वह व्याकरण के नियम में प्रतिबंधित होकर इसका स्वरूप भी बदल जाता है, जब कोई शब्द वाक्य में प्रयोग होता है तो वह शब्द न होकर पद कहलाता है।

पदों का भेद (Sangya Kise Kahate Hain)

हिन्दी में पद प्रमुख रूप से पाँच प्रकार के होते है।

  • संज्ञा
  • सर्वनाम
  • क्रिया
  • अव्यय
  • विशेषण

हम इस लेख में संज्ञा और संज्ञा के पद के बारे में विस्तृत रूप में जानेगे। निम्न वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान पूर्वक पढ़ें-

  • मोहन कल दिल्ली जाएगा।
  • वह किताब पढ़ रही है।
  • बाघ दहाड़ता है।
  • ईमानदारी अच्छी सोच है।
  • उसकी लंबाई देखो।

ऊपर वर्णित वाक्यों में-

  • मोहन व्यक्ति का नाम है।
  • भोपाल एक स्थान का नाम है।
  • किताबएक वस्तु का नाम है।
  • ईमानदारी एक भाव का नाम है।
  • लंबाईयह एक विशेषता को प्रकट करता है।

उपरोक्त वाक्यों में सभी रेखांकित पद संज्ञा होते है।जिसका अर्थ नाम है।

इसलिए संज्ञा किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान और भाव के नाम को संज्ञा के रूप में प्रदर्शित होता है।

संज्ञा(Sangya):  की पहचान

संज्ञा की पहचान हम कुछ निम्न लक्षणों के आधार पर करते है, कुछ संज्ञा शब्द प्राणिवाचक और कुछ शब्द अप्राणिवाचक शब्द कहलाते है।

  • प्राणीवाचक शब्द – गाय, मनुष्य, कुत्ता, मोहन आदि।
  • अप्राणीवाचक शब्द – पुस्तक, मकान, कार, रेल, हवाई जहाज आदि।

संज्ञा के भेद (Sangya Ke Bhed)

उत्पत्ति के आधार पर – उत्पत्ति के आधार पर संज्ञा प्रमुख रूप से तीन प्रकार की होती है-

  • रूढ – कृष्ण, यमुना आदि।
  • यौगिक – पनघट, पाठशाला आदि।
  • योगरूढ – जैसे – (जलज, यौगिक अर्थ- जल में उत्पन्न वस्तु, योगरूढ अर्थ कमल)।

अर्थ के आधार पर संज्ञा(Sangya) के प्राकर

अर्थ की दृष्टि से संज्ञा पाँच प्रकार की होती है-

  • व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)
  • जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)
  • द्रव्यवचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya)
  • समूह वाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya)
  • भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya)

व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya):

जिस शब्द से किसी एक ही व्यक्ति वस्तु का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं,

जैसे- प्रयाग, सूरज, मोहन, लखनऊ, दिल्ली, गंगा, हिमालय, रामचरितमानस आदि।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण

  • प्रयाग- प्रयाग एक स्थान का नाम है, क्योंकि यह स्थान अकेला ही है, इसलिए इसे व्यक्तिवाचक संज्ञा दी गई है।
  • सूरज- सूरज एक व्यक्ति का नाम है, जो की सूरज पूरी दुनिया में इस नाम का अकेला है, यदि किसी दूसरे व्यक्ति का नाम भी सूरज है, परंतु उसके माता-पिता भी अलग है, स्थान भी बदला है।
  • रामचरितमानस- रामचरितमानस अकेला ही ग्रंथ है, इस लिए इसे व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
  • हिमालय- हिमालय एक अकेला स्थान अथवा पर्वत है इसलिए इसे व्यक्तिवाचक संज्ञा दी गई है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण

  • व्यक्ति के नाम- सूरज, राकेश सुनीता, मंगलेश आदि।
  • देशों के नाम- भारत, नेपाल, अफ्रीका, इटली, जापान आदि।
  • महासागर – हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, कला सागर आदि।
  • ग्रंथ- महाभारत, रामचरितमानस, रामायण, आदि।
  • पर्वत- हिमालय, एंडीज, सतपुड़ा आदि।
  • माह के नाम- जनवरी, फरवरी,मार्च आदि।
  • ऐतिहासिक घटनाक्रम- असहयोग आंदोलन, जलियावाला बाग हत्या कांड, 1857 की क्रांति आदि।

जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya):

जिस शब्द अथवा नाम से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे-  मनुष्य, पर्वत, लड़का, लड़की, गाय, कुर्सी, हवाई जहाज आदि।

जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण

  • नदी – सभी नदियों का बोध करती है।
  • गाय – यह गाय जाति का बोध करती है।
  • लड़का – यह भी लड़का वर्ग का बोध कराती है।

नोट- नदी जातिवाचक संज्ञा है, परंतु गंगा जैसे किसी एक विशेष नदी का नाम इसलिए गंगा को व्यक्ति वाचक संज्ञा कहा जाता है।

द्रव्यवचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya):

जिस शब्द से नापतोल वाली वस्तुओं का बोध होता है, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे- दूध तेल चीनी चावल गेहूं चना आज।

द्रव्यवचक (Dravya Vachak Sangya) संज्ञा के उदाहरण

  • चना – एक खाद्य सामग्री है।
  • गेहूँ – एक खाद्य सामग्री है।
  • चांदी – एक आभूषण हेतु धातु है।
  • दूध – एक पेय पदार्थ है।
  • चीनी – एक खाद्य पदार्थ है।

समूह वाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya):

जिस शब्द से किसी व्यक्ति के समूह का बोध होता हो उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- सभा  भीड़ कुंज।

समूहवाचक संज्ञा(Samuh Vachak Sangya) के उदाहरण

  • सेना – सेना काफी सैनिकों का एक समूह होता है।
  • कक्षा – इसमें बच्चों का एक समूह होता है।
  • गुच्छा – जैसे अंगूर का गुच्छा, कई अंगूरों का एक समूह।
  • आयोग- सदस्यों का एक समूह।
  • बाजार – लोगों का एक समूह।
  • मेला – काफी लोगों का समूह।

भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya):

जिस शब्द से किसी वस्तु के गुण दशा भाव व्यापार धर्म अवस्था स्वभाव का बोध होता है। उसे भाववाचक संज्ञा कहा जाता है।

जैसे- दया, सच्चाई, क्रोध, दरिद्रता, चढ़ाई  आदि.।

भाववाचक संज्ञा(Bhav Vachak Sangya) के उदाहरण

  • ईमानदारी – ईमानदारी मानव एक उत्तम गुण है।
  • ईर्ष्या – ईर्ष्या मानव का एक बहुत ही खराब गुण है।
  • बुढ़ापा – बुढ़ापा मानव का एक अवस्था है।
  • चालाकी – प्राणी का एक विशेष गुण है।
  • क्रोध – मानव का एक विशेष गुण है।
  • मिठास – मिठास एक विशेष गुण है।

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया एवं अव्यय में – -आव, -त्व, -पन, -अन, -इमा, -ई, -ता, -हट आदि प्रत्यय को जोड़कर किया जाता है।

जातिवाचक संज्ञा का भाववाचक संज्ञा में परिवर्तित

  • पुरुष + त्व = पुरुषत्व
  • नारी + त्व = नारीत्व
  • गुरु  + त्व = गुरुत्व
  • सती + त्व = सतीत्व
  • मित्र + ता = मित्रता
  • युवा + अन = यौवन

सर्वनाम का भाववाचक संज्ञा में परिवर्तन

  • अपना + त्व = अपनत्व
  • मम  +  त्व = ममत्व
  • निज + त्व  = निजत्व
  • मम  + ता  = ममता

विशेषण से भाववाचक संज्ञा में परिवर्तन 

  • मीठा + आस = मिठास
  • सुंदर + ता   = सुंदरता
  • वीर  + ता  = वीरता
  • धीर  + ता  = धीरता
  • निर्बल + ता = निर्बलता
  • अच्छा + आई = अच्छाई
  • लाल + इमा  = लालिमा

क्रिया से भाववाचक संज्ञा में परिवर्तन

  • थकना से थकान
  • घबराना से घबराहट
  • चढ़ना से चढ़ाई
  • भटकना से भटकाव

अव्यय से भावाचकसंज्ञा में परिवर्तन

  • दूर से दूरी
  • निकट से निकटता
  • समीप से समीपता
  • नीचे से नीचाई
  • शीघ्र से शीघ्रता

गणना के आधार पर संज्ञाSangya के प्रकार

गणना के आधार पर संज्ञा को दो रूपं में विभाजित किया गया है

गणनीय वाचक संज्ञामनुष्य, बैल, कुत्ता, पुस्तक, कुर्सी आदि

अगणनीय वाचक संज्ञा पानी, तेल, सिर के बाल, आसमान के तारे आदि।

संज्ञाओं के विशिष्ट प्रयोग

व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में

कहीं-कहीं पर व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में होता है।

उदाहरण – जैसे आज के युग में भी हरिश्चंद्रों की कमी नहीं है, यहाँ हरिश्चंद्र किसी व्यक्ति का नाम न होकर यनिष्ठ व्यक्तियों की जाती का बोध होता है।

जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा में

कहीं-कहीं पर जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में होता है।

  • गोस्वामी जी ने रामचरितमानस की रचना की है, यहाँ पर गोस्वामी किसी जाति का नाम न होकर एक व्यक्ति तुलसीदास का बोधक है।
  • शुक्ल जी ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखा। यहाँ पर शुक्ल का किसी जाति का बोध न होकर एक व्यक्ति आचार्य प्रेमचंद्र शुक्ल का बोधक है।
  • देवी कहने से दुर्गा, बापू कहने से महात्मा गांधी का बोध होता है।

पद से परिचय (Parsing)

पद परिचय में वाक्य के प्रत्येक पद को अलग-अलग करके उसका व्याकरणिक स्वरूप बताते हुए, अन्य पदों से उसका संबंध बताना पड़ता है। इसे पद अन्वय भी कहा जाता है।

संज्ञा का पद परिचय

शब्दों का पद परिचय देते समय संज्ञा, उसका भेद, लिंग, वचन कर्क एवं अन्य पदों से उसका संबंध बताना चहिए। जैसे –

लक्षमण ने मेघनाथ को बाण से मारा।

  • लक्षमण – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, मारा, क्रिया का कर्ता।
  • मेघनाथ – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, कर्म कारक, मारा, क्रिया का कर्म।
  • वाण – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, करण कारक, मारा, क्रिया का साधन।

लिंग (GENDER)

लिंग का शाब्दिक अर्थ है, चिह्न  शब्द के जिस रूप से यह जाना जाय वर्णित वस्तु या व्यक्ति पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का है, उसे लिंग कहते हैं।  लिंग के द्वारा संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों की जाति का बोध होता है।

हिंदी में लिंग दो प्रकार के होते हैं, पुल्लिंग और स्त्रीलिंग

हिंदी में लिंग का निर्धारण

हिन्दी में लिंग निर्धारण के लिए निम्न आधार ग्रहण किए जाते हैं

  • रूप के आधार पर
  • प्रयोग के आधार पर
  • अर्थ के आधार पर

रूप के आधार पर 

रूप के आधार पर लिंग निर्णय का तात्पर्य है, शब्द की व्याकरणिक बनावट शब्द की रचना में किन प्रत्ययों का प्रयोग हुआ है, तथा जब शब्दांत में कौन सा स्वर है, इसे आधार बनाकर शब्द के लिंग का निर्धारण किया जाता है।

पुल्लिंग शब्द

  • अकारांत आकारांत शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं, जैसे राम, सूर्य क्रोध, समुद्र, चीता, घोड़ा, कपड़ा, घड़ा आदि।
  • वह भाववाचक संज्ञा है जिनके अंत में तो आया होता है वह प्रायः पुल्लिंग होती हैं,  जैसे – गुरुत्व, गौरव, शौर्य, आदि।
  • जिन शब्दों के अंत में पा आओ आओ खाना जुड़े होते हैं वह भी प्रायः पुल्लिंग होते हैं जैसे बुढ़ापा, मोटापा, बचपन, घुमाव, भुलाव्, पागलखाना।

स्त्रीलिंग शब्द

  • आकारांत शब्द स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे- लता, रमा, ममता आदि।
  • इकारांत शब्द भी प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे – रीति, तिथि, हानि आदि। (परंतु इसके अपवाद भी हैं,  जैसे कवि, कपि, रवि आदि पुल्लिंग है। )
  • ईकारांत शब्द भी प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- नदी, रोटी, टोपी, किंतु अपवाद भी हैं जैसे- (हाथी, दही, पानी, पुल्लिंग है’।)
  • आई, इया, आवट, आहट, ता, और इमा प्रत्यय वाले शब्द भी स्त्रीलिंग होते हैं,  जैसे-  लिखाई दिव्या मिलावट घबराहट सुंदरता महिमा आदि।

स्त्रीलिंग प्रत्यय

पुल्लिंग शब्द को स्त्रीलिंग बनाने के लिए कुछ प्रत्ययों को शब्द में जोड़ा जाता है,  जिन्हें स्त्री प्रत्यय कहते हैं।

संस्कृत के स्त्री प्रत्यय

संस्कृत के स्त्री प्रत्यय उदाहरण 
-आ छात्र- छात्रा, महोदय- महोदया 
-आनी इन्द्र – इंद्राणी, रुद्र – रुद्राणी 
-इका गायक – गायिका, नायक – नायिका 
-इनी यक्ष – यक्षिणी , योगी – योगिनी 
-ई कुमार – कुमारी, पुत्र – पुत्री 
-ती श्रीमान – श्रीमती, भाग्यवान – भाग्यवती 
-त्री अभिनेता – अभिनेत्री , नेता – नेत्री 
-नी पति – पत्नी , भिक्षु – भिक्षुणी 
हिन्दी के स्त्री प्रत्यय 
-आइन ठाकुर -ठकुराइन ,  पंडित पंडिताइन 
-आनी जेठ – जेठानी ,  मुगल – मुगलानी 
-इन तेली-  तेलिन ,     धोबी – धोबिन 
-इया बेटा – बिटिया,   लॉट- लुटिया 
-ई काका – काकी ,   पोत पोती 
-नी मोर – मोरनी,   शेर – शेरनी 
 उर्दू के स्त्री प्रत्यय 
आ माशूक – माशूका, वालिद – वालिदा 

प्रयोग के आधार पर

प्रयोग के आधार पर लिंग निर्णय के लिए संज्ञा शब्द के साथ प्रयुक्त विशेषण कारक चिन्ह एवं क्रिया को आधार बनाया जा सकता है।

उदाहरण

  • अच्छा लड़का अच्छी लड़की। ( लड़का पुलिंग, लड़की स्त्रीलिंग)
  • राम की पुस्तक, राम का चाकू । (पुस्तक स्त्रीलिंग है, चाकू पुलिंग)
  • राम ने रोटी खाई, (रोटी स्त्रीलिंग, क्रिया स्त्रीलिंग)
  • राम ने आम खाया। (आम पुलिंग, क्रिया स्त्रीलिंग)

अर्थ के आधार पर

कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हुए भी लिंग की दृष्टि से भिन्न होते हैं उनका उचित एवं सम्यक  प्रयोग करना चाहिए।

पुलिंग स्त्रीलिंग पुलिंग स्त्रीलिंग 
कविकवयित्रीमहानमहती
विद्वानविदुषीसाधुसाध्वी
नेतानेत्रीलेखकलेखिका

उपर्युक्त शब्दों का सही प्रयोग करने पर ही शुद्ध वाक्य बनता है। जैसे –

  • आप की महान कृपा होगी। (अशुद्ध वाक्य)
  • आप की महती कृपा होगी।(शुद्ध वाक्य)
  • वह एक विद्वान लेखिका है। (अशुद्ध वाक्य)
  • वह एक विदुषी लेखिका है। (शुद्ध वाक्य)

वचन(Vachan)

वचन की परिभाषा(Vachan Ki Paribhasha)

वचन एक अभिप्राय संख्या से है। विकारी शब्दों के जिस रूप से उनकी संख्या(एक या अनेक) का बोध होता है, उसे वचन( vachan)कहते हैं।

हिंदी में वचन दो प्रकार के होते हैं एकवचन और वहुवचन।

एकवचन-  शब्द के जिस रूप से एक वस्तु या एक पदार्थ का ज्ञान होता है, उसे एकवचन कहते हैं।

उदाहरण- बालक, घोड़ा, किताब,  आदि।

बहुवचन- शब्द के जिस रूप से अधिक वस्तुओं या पदार्थों का ज्ञान होता है, उसे बहुवचन कहते हैं।

उदाहरण- बालकों, घोड़ों,  किताबों, कुर्सियां, खिड़कियां, औरतें, मेजो आदि।

बहुवचन बनाने में प्रयुक्त प्रत्यय-

ए : आकारांत पुल्लिंग तद्भव संख्याओं में अंतिम ‘आ’ के स्थान पर ‘ए’ एक कर देने से बहुवचन हो जाता है।

उदाहरण- घोड़ा – घोड़े,   लड़का – लड़के,   गधा – गधे

एं –  अकारांत योग आकारांत स्त्रीलिंग एं  जोड़ने पर वह वे बहुवचन बन जाते हैं।

उदाहरण पुस्तक – पुस्तकें,   बात –बातें,  सड़क –सड़कें, माता – माताएं आदि।

यां – इकारांत, ईकारांत स्त्रीलिंग शब्दों में जुड़कर उसे बहुवचन बना देता है।

जैसे- जाति  – जातियां ,  नीति – नीतियां,  नदी- नदियां, लड़की – लड़कियां आदि । 

–ओ का प्रयोग करके भी बहुवचन बनते हैं

जैसे- कथा – कथाओं,   साधु – साधुओ, माता – माताओं,   बहन – बहनों आदि।

कभी-कभी कुछ शब्द भी बहुवचन बनाने के लिए जोड़े जाते हैं,

जैसे- वृंद – मुनिवृन्द, जन- युवजन, गण- कृष्ण, वर्ग- छात्रवर्ग, लोग- नेतालोग आदि ।

कुछ शब्द सदैव बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं, जैसे-

  • प्राण- मेरे प्राण छटपटाने  आने लगे।
  • दर्शन-  मैंने आपके दर्शन कर लिए।
  • आंसू-  आंखों से आंसू निकल पड़े।
  • होश – शेर को देखते ही  मेरे होश उड़ गए।
  • बाल – मैंने बाल कटवा लिए।
  • हस्ताक्षर-  मैंने कागज पर हस्ताक्षर कर दिए

कुछ शब्द नित्य एकवचन होते हैं

  • माल-  माल लूट गया।
  • जनता-  जनता भूल गई।
  • सामान- सामान खो गया।
  • सामग्री- हवन सामग्री जल गई।
  • सोना- सोना का भाव कम हो गया।

आदरणीय व्यक्ति के लिए बहुवचन का प्रयोग

  • पिताजी आ रहे हैं।
  • तुलसी श्रेष्ठ कवि थे।
  • आप क्या चाहते हैं?

अनेकों शब्द का प्रयोग गलत है।  एक का बहुवचन अनेक है, अनेकों का प्रयोग अशुद्ध माना जाता है।

जैसे –

  • वहाँ अनेकों लोग थे।(अशुद्ध )
  • वहाँ अनेक लोग थे।(शुद्ध )
  • बाग में अनेकों वृक्ष थे।(अशुद्ध) 
  • बाग में अनेक वृक्ष थे।(शुद्ध )

कारक (Karak)

कारक की परिभाषा(Karak Ki Paribhasha)

संज्ञा अथवा सर्वनाम का वाक्य के और पदों विशेषतः क्रिया से जो संबंध होता है, उसे कारक(Karak) कहते हैं।

जैसे-  लक्षमण ने मेघनाथ को बाण से मारा।

इस वाक्य में राम क्रिया मारा का कर्ता है, रावण इस मारण क्रिया का कर्म है।  बाण से यह क्रिया संपन्न की गई है अतः बाण क्रिया का साधन होने से करण है।

कारक एवं कारक चिन्ह(Karak Chinh) 

हिंदी में कारकों की संख्या 8 मानी गई है।  इन कारकों के नाम एवं उनके कारक चिन्ह का विवरण इस प्रकार है

करण और अपादान में अंतर

करण  और अपादान दोनों कारकों में ‘से’ चिन्ह का प्रयोग होता है।  किंतु इन दोनों में मूलभूत अंतर है. करण क्रिया का साधन या उपकरण है।  कर्ता कार्य संपन्न करने के लिए जिस उपकरण या साधन का प्रयोग करता है, उसे करण कहते हैं।

जैसे- मैं पेन से लिखता हूं।

जहां पेन लिखने का साधन है, अतः पेन शब्द का प्रयोग करण कारक में हुआ है।

अपादान(Apadan Karak) में  अपाय (विभाजन) क्या भाव निहित है।

जैसे – पेड़ से फल गिरा ।

अपादान कारक पेड़ में है, फल में नहीं।  जो अलग हुआ है, उसमें अपादान कारक(Apadan Karak) नहीं माना जाता है, जबकि जहां से अलग हुआ है, उसमें अपादान कारक होता है। पेड़  तो अपनी जगह स्थित है, फल अलग हो गया,  ध्रुव स्थिर है।  वस्त्र में अपादान होता है, यह एक उदाहरण-  वह गांव से चला आया।  यहां गांव में अपादान कारक है।

कारकों की पहचान

  • कर्ता –  क्रिया को संपन्न करने वाला
  • कर्म- क्रिया से प्रभावित होने वाला
  • करण- क्रिया का साधन या उपकरण
  • संप्रदान- जिससे प्रिया के उद्देश प्रयोजनों का बोध हो जिसके लिए कोई क्रिया संपन्न की जाए यदि कुछ जिसे कुछ प्रदान किया जाए
  • अपादान(Apadan Karak)– जहां अलगाव हो वहां स्थिर में अपादान होता है।  अलगाव के अलगाव ए कारण तुलना भिन्नता आरंभ सीखने का बोधक है।
  • संबंध- जहां 2 पदों का पारस्परिक संबंध बताए जाएं।
  • अधिकरण- जो क्रिया के आधार आस्था समय अवश्य आज का बोल कर आए।
  • संबोधन- किसी को पुकार कर संबोधित किया जाए।

वाक्य में कारक संबंधी हमें अशुद्धियां होती हैं।  इनका निराकरण करके वाक्य को शुद्ध बनाया जाता है।

अशुद्ध वाक्य शुद्ध वाक्य 
तेरे को कहां जाना है।मुझे कहां जाना है।
वह घोड़े के ऊपर बैठा है।वह घोड़े पर बैठा है।
मैं कलम के साथ लिखता हूं।मैं कलम से लिखता हूं।
मुझे कहा गया था।मुझसे कहा गया था।
लड़का टॉफी को रोता है।  लड़का टॉफी के लिए रोता है।
इस किताब के अंदर बहुत कुछ है।इस किताब में बहुत कुछ है।
मैंने आज पटना जाना है।मुझे आज पटना जाना है।
तेरे को मेरे से क्या लेना-देना है?तुझे मुझ से क्या लेना देना है?
उसे कह दो कि भाग जाए।उससे कह दो कि भाग जाए।
सीता से जाकर के कह देना।सीता से जाकर कह देना।
तुम्हारे से कोई काम नहीं हो सकता।तुम मुझसे कोई काम नहीं हो सकता।
मैं पत्र लिखने को बैठा।मैं पत्र लिखने के लिए बैठा।
मैंने राम को यह बात कह दी थी।मैंने राम से यह बात कह दी थी।
इन दोनों घरों में एक दीवार है।इन दोनों घरों के बीच एक दीवार है।

निष्कर्ष:

मेरे प्यारे दोस्तों अपको इस Sangya Kise Kahate Hain के माध्यम से संज्ञा की परिभाषा, संज्ञा के प्रकार, उदाहरण, लिंग, एवं वचन के प्रकार के आदि के बारें में विस्तृत रूप से अवगत कराया। हमें पूर्ण उम्मीद है, की आपको इस पोस्ट को पढ़कर लाभ जरूर मिलेगा। यदि इस पोस्ट में मेरे द्वारा यदि कोई परत छूट गया हो, तो आप कमेन्ट अवश्य करें।

आप इसे भी पढ़ें – 

[ वर्णमाला ] किसे कहते है ?

Bangal Vibhajan Kab Hua-बंगाल विभाजन कब हुआ

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

Q.संज्ञा किसे कहते हैं कितने प्रकार के?

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव केनाम को संज्ञा कहा जाता है। संज्ञा प्रमुख रूप से पाँच प्रकार के होते है, 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा 2. जातिवाचक संज्ञा 3. द्रव्यवाचक संज्ञा 4. समूहवाचक संज्ञा 5. भाववाचक संज्ञा  

Q.संज्ञा कितनी होती है?

संज्ञा व्यूतिपत्ति के आधार पर तीन प्रकार के 1. रूढ 2. यौगिक 3. योगरूढ। अर्थ के आधार पर संज्ञा पाँच प्रकार की होती है, 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा 2. जातिवाचक संज्ञा 3. द्रव्यवाचक संज्ञा 4. समूहवाचक संज्ञा 5. भाववाचक संज्ञा।  

Q.संज्ञा के 5 प्रकार कौन से हैं?

संज्ञा के पाँच प्रकार – 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा 2. जातिवाचक संज्ञा 3. द्रव्यवाचक संज्ञा 4. समूहवाचक संज्ञा 5. भाववाचक संज्ञा।  

Q.गाय में कौन सी संज्ञा है?

गाय में जातिवाचक संज्ञा है।

Q.दूध में कौन सी संज्ञा है?

दूध में द्रव्यवाचक संज्ञा है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *