प्रिय दोस्तों आज हम आपको हिन्दी व्याकरण में वर्णमाला किसे कहते हैं(Varnmala Kise Kahate Hain) के बारे में विस्तृत रूप से बतताएंगे, इस लेख में आपको हिंदी वर्णमाला की परिभाषा, स्वर और व्यंजन, एवं हिन्दी वर्णमाला 52 अक्षर आदि के बारें में आप विस्तृत अध्ययन करेंगे।सिर्फ आप इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
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वर्णमाला किसे कहते है(Varnmala Kise Kahate Hain), परिभाषा :
“जब कभी किसी एक भाषा या अनेक भाषा को लिखने के लिए प्रयुक्त मानक प्रतीकों के व्यवस्थित क्रम समूह को वर्णमाला कहा जाता है”, जैसे – देवनागरी में हिन्दी वर्णमाला अ आ इ ई उ ऊ ऋ, ए ऐ ओ औ अं अः, क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ आदि।
अंग्रेजी वर्णमाला – A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z.
हिन्दी वर्णमाला की परिभाषा :
“वर्णों के क्रम से “व्यवस्थित समूह’ को वर्णमाला कहा जाता है”।
हिंदी वर्णमाला से संबंधित तथ्य :
- सर्वप्रथम हिन्दी वर्णमाला जेशुआ केटलर के द्वारा लिखी गई ।
- जेशुआ केटलर ने ऑ को जोड़ा।
- जेशुआ केटलर के अनुसार वर्णमाला में 59 वर्ण होते है।
- सर्वमान्य व्यवस्थित रूप में प्राप्त वर्णमाला पंडित कामता प्रसाद ने दिया। जो मानी जा रही है, इनके अनुसार “52 वर्ण” होते है।
- पाणिनी के अनुसार संस्कृत में 63 वर्ण होते है ।
- पंडित कामता प्रसाद ने संस्कृत के 63 वर्ण से 52 वर्ण को हिन्दी में समाहित किए।
वर्णमाला किसे कहते है, से संबंधित इकाई
मौखिक इकाई
मौखिक इकाई के प्रकार
- स्वनिम
- ध्वनि
स्वनिम- जब मुख के द्वारा एक बार प्राण वायु निकलती है। तो उसे ही स्वनिम कहा जाता है ।
- कई स्वनिम निकलकर ध्वनि को उत्पन्न करती है ।
- उच्चारण की सबसे छोटी इकाई स्वनिम है।
ध्वनि- ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई
स्वनिम- जब मुख के द्वारा एक बार प्राण वायु निकलती है। तो उसे ही स्वनिम कहा जाता है ।
- कई स्वनिम निकलकर ध्वनि को उत्पन्न करती है ।
- उच्चारण की सबसे छोटी इकाई स्वनिम है।
ध्वनि- ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई
लिखित वर्ण
वर्ण-: स्वर रहित को वर्ण कहा जाता है।
- हिन्दी भाषा के वर्णमाला की सबसे सूक्ष्म इकाई वर्ण होती है।
- स्वर युक्त को अक्षर कहा जाता है।
हिन्दी वर्णमाला 52 अक्षर :
- उच्चारण के आधार पर हिन्दी में मूलतः 45 वर्ण होते है। (10 स्वर+ 35 व्यंजन )
- लिखित प्रयोग के आधार पर हिन्दी वर्णमाला में बावन (52) वर्ण होते है, (13 स्वर + 35 व्यंजन + 4 संयुक्त व्यंजन )
स्वर और व्यंजन :
हिन्दी वर्णमाला में प्रमुख रूप से स्वर एवं व्यंजन को मिलाकर कुल 52 वर्ण होते है, परंतु मूल वर्ण एवं उच्चारण के आधार पर यह भिन्न प्रकार के होते है।
- मूल वर्ण के आधार 44 वर्ण (11 स्वर + 33 व्यंजन )
- उच्चारण के आधार पर 47 वर्ण (10 स्वर + 37 व्यंजन )
- लेखन के आधार पर 52 वर्ण (13 स्वर + 39 व्यंजन )
- मानक वर्ण के आधार पर भी 52 वर्ण (13 स्वर + 35 व्यंजन )
स्वर किसे कहते हैं :
स्वर की परिभाषा-: हिन्दी भाषा के वर्णमाला में “स्वतंत्र रूप से बोलने में प्रयोग किए जाने वर्ण स्वर” कहलाते है।
प्रमुख रूप से स्वरों की संख्या 13 होती है।
स्वर-: हिन्दी वर्णमाला में कुल 13 स्वर -: {अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः}
स्वरों का वर्गीकरण-:
प्रमुख रूप से स्वरों को 5 भागों में वर्गीकृत किया जाता है –
मात्रा के दृष्टिकोण से वर्णमाला में स्वर तीन प्रकार के होते है-
- ह्रस्व स्वर की परिभाषा –: जिस स्वर के उच्चारण में “एक मात्रा का समय लगता है” उसे ह्रस्व स्वर कहा जाता है । जैसे- (अ,इ,उ) ।
- दीर्घ स्वर की परिभाषा –: जिस स्वर के उच्चारण मे “दो मात्रा का समय लगता हो”, या ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता हो, को दीर्घ स्वर कहा जाता है। दीर्घ स्वर जैसे -: आ, ई,ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऑ।
- प्लुत स्वर की परिभाषा –: हिन्दी भाषा के वर्णमाला के जिन “स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक का समय लगता हो”, उसे प्लुत स्वर कहा जाता है। जैसे – (रा ssss)
जिह्वा के प्रयोग के आधार हिन्दी वर्णमाला में स्वर तीन के प्रकार के होते है।
- अग्र स्वर की परिभाषा -: जिस स्वरों के उच्चारण में जीभ का अगर भाग कार्य करता हो। जैसे –(इ, ई, ए, ऐ) ।
- मध्य स्वर की परिभाषा -: हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जिस स्वरों के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग कार्य करता हो। उसे मध्य स्वर कहा जाता है। जैसे- अ
- पश्च स्वर -: हिन्दी वर्णमाला में जिस स्वर के उच्चारण में “जीभ का पीछे भाग का कार्य” करता हो उसे पश्च स्वर कहा जाता है। जैसे –: आ उ ऊ ओ औ ऑ ।
मुख द्वार खुलने के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते है-
- विवृत- हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जिस स्वर के उच्चरण में मुख द्वार पूरा खुलता है। जैसे आ ।
- वृतमुखी -: हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जिस “स्वरों के उच्चारण में ओंठ वृतमुखी” हो जाए, जैसे – (उ ऊ ओ औ ऑ)।
नाक एवं मुख से हवा निकलने आधार पर –:
- निरनुनासिक/मौखिक स्वर – जिस स्वर के उच्चारण में हवा सिर्फ मुख से निकलती हो, जैसे – (अ आ इ आदि )
- अनुनासिक की परिभाषा -: हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जिस “स्वर के उच्चारण में “हवा मुख के साथ-साथ नाक से भी निकलती हो” जैसे – ऑ आदि ।
हिन्दी भाषा के वर्णमाला में घोषत्व के आधार पर -: “स्वरतंत्रियों में जब कंपन” होता है, तो सघोष ध्वनिया उत्पन्न होती है। सभी स्वर सघोष है ।
घोष का अर्थ -: स्वरतंत्रियों में स्वास का कम्पन्न ।
व्यंजन किसे कहते हैं
व्यंजन की परिभाषा -: हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जो “वर्ण स्वर की सहायता से बोले” जाते है, व्यंजन कहलाते है।
- प्रत्येक व्यंजन अ स्वर की मदद से बोले जाते है।
- प्रमुख रूप से व्यंजनों की संख्या 39 होते है।
व्यंजन-:
क वर्ग-: क ख ग घ ङ
च वर्ग-: च छ ज झ ञ
ट वर्ग-: ट ठ ड ढ ण
त वर्ग-: त थ द ध न
प वर्ग-: प फ ब भ म
अन्तःसतह-: य र ल व
ऊष्म-: श ष स ह
संयुक्त व्यंजन-: क्ष त्र ज्ञ श्र
व्यंजन की परिभाषा -: हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जो “वर्ण स्वर की सहायता से बोले” जाते है, व्यंजन कहलाते है।
- प्रत्येक व्यंजन अ स्वर की मदद से बोले जाते है।
- प्रमुख रूप से व्यंजनों की संख्या 39 होते है।
व्यंजन के प्रकार – व्यंजन प्रमुख रूप से तीन प्रकार के होते है-
- स्पर्श व्यंजन
- अंतःस्थ व्यंजन
- ऊष्म/संघर्षी व्यंजन
स्पर्श व्यंजन की परिभाषा -: हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जिस “व्यंजन के उच्चारण करते समय वायु फेफड़ों से निकलते हुए मुख के किसी स्थान विशेष जैसे कंठ, तालु, मूर्धा, दांत,अथवा ओंठ” को छूते या स्पर्श करते हुए निकले तो वे स्पर्श व्यंजन कहलाते है।
वायु का स्पर्श – पीछे से आगे की तरफ होता है । जिसका क्रम निम्न प्रकार से है – कंठ्य – तालव्य -मूर्धन्य -दंती -ओष्ठ्य ।
वर्ग | उच्चारण स्थल | अघोष अल्पप्राण | अघोष महाप्राण | सघोष अल्पप्राण | सघोष महाप्राण | सघोष अल्पप्राण नासिक्य |
कंठ्य | कंठ | क | ख | ग | घ | ङ |
तालव्य | तालु | च | छ | ज | झ | ञ |
मूर्धन्य | मूर्धा | ट | ठ | ड | ढ | ण |
दंत्य | दाँत | त | थ | द | ध | न |
ओष्ठ्य | ओंठ | प | फ | ब | भ | म |
हिन्दी वर्णमाला में घोषत्व के आधार पर वर्णों का विस्तृत विवरण –:
[अघोष] की परिभाषा – हिन्दी भाषा के वर्णमाला में जिनके उच्चारण में “स्वरतंत्रियों का कम्पन्न न हो, जैसे – प्रत्येक वर्ग का प्रथम एवं द्वितीय व्यंजन” ( क, ख)
[सघोष] की परिभाषा -: जिन ध्वनियों में उच्चारण के समय स्वरतंत्रियों में कम्पन्न हो, सघोष कहलाते है। जैसे – प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा एवं पाँचवा व्यंजन । जैसे – ग, घ, ङ ।
प्राणत्व के आधार पर-:
प्राण की परिभाषा एवं अर्थ है, वायु, इसके आधार पर व्यंजन दो प्रकार के होते है।
[अल्पप्राण] की परिभाषा -: जिस व्यंजन के उच्चारण में मुख से वायु कम निकले उसे अल्पप्राण कहा जाता है। जैसे – (प्रथम, तृतीय एवं पंचवा व्यंजन)
[महाप्राण] की परिभाषा – : जिस व्यंजन के उच्चारण में मुख से हवा अधिक मात्रा में निकले उसे महाप्राण कहा जाता है। जैसे – प्रत्येक वर्ग का दूसरा ग एवं चौथा घ व्यंजन।
अन्तःस्थ व्यंजन -: जिस वर्णों का उच्चारण स्वर एवं व्यंजन के मध्य स्थित हो, अन्तःस्थ व्यंजन कहलाते है।
वर्ग | उच्चरण स्थल | ये सभी सघोष एवं अल्पप्राण है । |
य | तालु | |
र | दन्तमूल/मसूढ़ा | |
ल | दन्तमूल/मसूढ़ा | |
व् | दन्तोष्ठ्य |
मुख्य तथ्य-
- य,व- अर्द्धस्वर
- र – लुंठित
- ल – पार्श्विक
ऊष्म/संघर्षी व्यंजन -: जिन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से में किसी स्थान विशेष से रगड़ या घर्षण करते हुए निकले, तो ऊष्म/संघर्षी व्यंजन कहलाते है।
वर्ण | वर्णों का वर्ग | वर्णों का उच्चरण स्थल | ये सभी अघोष एवं महाप्राण |
श | तालव्य | तालु | |
ष | मूर्धन्य | मूर्धा | |
स | वत्सर्य | दन्तमूल | |
ह | कंठ्य | कंठ के अंदर |
उत्क्षिप्त व्यंजन -: जिन व्यंजनों के उच्चारण में जीभ पहले ऊपर उठकर मूर्धा को स्पर्श करें फिर उसके बाद झटके के साथ नीचे आए। उत्क्षिप्त व्यंजन – (ड़ ढ़)
द्विगुण व्यंजन – ड़ एवं ढ़ को द्विगुण व्यंजन कहा जाता है।
- ड़ – मूर्धन्य, सघोष, एवं अल्पप्राण
- ढ़ – मूर्धन्य, सघोष एवं महाप्राण
आयोगवाह-: अं एवं अः इन दोनों का जातीयमान न तो स्वर केसाथ है एवं न तो व्यंजन के साथ है, इसलिए इन्हे अयोग कहा जाता है, जबकि ये अर्थ वहन करते है, इसलिए इन्हे अयोगवाह कहलाते है।
निष्कर्ष / Conclusion:
प्रिय दोस्तों आप को हिन्दी व्याकरण में वर्णमाला किसे कहते है(Karnmala Kise Kahate Hain), के बारे वर्णमाला की परिभाषा, स्वर एवं व्यंजन की परिभाषा और उनके प्रकार को विस्तृत रूप से बताया। आप सब इस पोस्ट को पढ़कर कैसे लगा, अपना सकारात्मक एवं नकारात्मक सुझाव अवश्य दें। धन्यवाद।
वर्णमाला से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
वर्णमाला किसे कहते हैं और कितने होते हैं?